आसमान की लाल बिंदी धूँधली हो चली
अँधियारे ने सभी को अपनी छाव में ले ली,
पर इतना तो तय था, कल फिर एक नई सुबह होगी
कुम्हलायी बदरंग धरती फिर दुलहन सी सजेगी,
नई रौशनी में कई नई कहानियाँ लिखती जायेगी
और अंत में फिर यूँ ही अँधेरे के आगोश में सो जायेगी।
©अनुपम मिश्र
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