एक स्वच्छंद भाव है
अंतः तरंगों का उमराव है
आकांक्षाओं का बहाव है
जिसे शब्द लड़ीयों में पिड़ोकर
अनुभवों का आवरण चढ़ा
समर्पित कर दिया जाता है
एक तीर से न जाने कितने
तीक्ष्ण बाण छोड़ दिया जाता है।
हृदय का दर्पण है यह
उद्देश्यों का समर्पण है यह
उन सभी को अर्पण है यह
जो नौ रसों का करते अनुसरण है।
©amritsagar
No comments:
Post a Comment
Thank you.