If by Rudyard Kipling
तुम अपने संयम को बाँध पाओ यदि
बाकि सब उसे खोने लगे फिर भी,
दूसरों के तुम पर शक के बावजूद भी यदि
आत्मविश्वास बनाये रखो औ' उनकी भी सुनो,
तुम यदि इंतज़ार करते हुये न थको कभी,
फिर दूसरों के लाख झूठ पर न झूठ बोला यदि,
चाहे कोई तुमसे कितनी भी घृणा करे तुम न करो यदि
इतना कर सकने के बाद अपना बड़प्पन जो न दिखाओ यदि:
यदि तुम सपने देखो औ' उन्हे अपना स्वामी न बनाओ
यदि तुम सोच सको औ' उन्हें अपनी मंजील न बनाओ
यदि तुमहारे आगे जीत आये या फिर हार
दोनों फरेबियों का करो तुम एक सा सत्कार,
यदि तुममें अपने बोले सच से जूझने की क्षमता हो
चाहे उसे धूर्तों ने कितना ही विभत्स कर दिया हो,
या फिर जीवन के उपहारों को टूटते देखने का सामर्थ्य हो
और फिर उठकर उन सब को इक्कठा करने की हिम्मत हो:
यदि जीवन भर की सारी उपलब्धि को इक्कठा कर तुम
किसी खेल की भाति नेक इरादे से जोखिम में डाल सको
और सब लूट जाने के बाद भी, फिर से आरंभ कर सको
और कभी किसी नुकसान को याद कर खुदको न कोसो,
यदि तुम अपने दिल, दिमाग और तन की शक्ति को
अंत आने के पूर्व, अपने हिसाब से प्रयोग में ला सको,
और सब खत्म होने के बाद भी यदि होश में रहो
खुद को संभालने वाले इक्छा शक्ति को जो बाँधे रहो:
यदि तुम आम लोगों के साथ शीलता से बाते करो,
और किसी राजा के साथ चलते हुये भी सामान्य रहो,
यदि तुम्हारा प्यारा दोस्त या दुश्मन कुछ न बिगार सके,
यदि तुमहारे लिये सब समान हो, कोई छोटा बड़ा नहीं,
यदि तुम एक निष्ठुर निर्दयी मिनट को उपयोग में ला सको
उसके हर एक सेकंड को सफलतापूर्वक अपना सको,
ये धड़ती और उसकी सारी सुख संपत्ति तुमहारी होगी,
और - उससे भी ऊपर - मेरे बेटे तुम एक इंसान बनोगे।
©amritsagar
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